अनूठी प्रतिभा कि धनी
रुचि और एकाग्रता से पाया मुकाम
पेंसिल्वेनिया में जन्मी एडिथ सेपसन उस अश्वेत परिवार में जन्मी थी, जिन्हें अस्पृश्यों से भी गई-गुजरी स्थिति में रहना और आयें दिन गोरो का त्रास सहना पड़ता था । उन्होंने अध्ययनकाल में अपनी रुचि और एकाग्रता नियोजित कि , फलतः वे एक सफल वकील बन सकी । इसके बाद उन्हें शिकागो हाईकोर्ट का जज बनाया गया । उस अदालत में छोटे अपराधो के अनेक मुकदमे आते थे , वे सभी निपटा देती थी ।
उनके हँसने -हँसाने कि आदत और न्याय कि पृष्टभूमि समझाने पर अधिकांश अपराधी स्वयं ही अपराध स्वीकार कर लेते थे और उचित दंड स्वेच्छापूर्वक सहते थे । गरीबो का समय अदालत का चक्कर काटने में नष्ट न हो, इसलिए वे प्रायः दो मिनिट के औसत से मुकदमा निपटाती थी। वकील करने कि भी अधिकांश को जरूरत न पड़ती । वे जज कि नही , परिवार कि बुजुर्ग कि भूमिका निभाती थी ।
प्रेसिडेंट ट्रुमेन ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका का प्रतिनिधि बनाकर भेजा। उच्च पद पर रहते हुए उन्होंने पिछड़े समुदाय को ऊँचा उठाने के लिए अनके रचनात्मक कार्य किए
पेंसिल्वेनिया में जन्मी एडिथ सेपसन उस अश्वेत परिवार में जन्मी थी, जिन्हें अस्पृश्यों से भी गई-गुजरी स्थिति में रहना और आयें दिन गोरो का त्रास सहना पड़ता था । उन्होंने अध्ययनकाल में अपनी रुचि और एकाग्रता नियोजित कि , फलतः वे एक सफल वकील बन सकी । इसके बाद उन्हें शिकागो हाईकोर्ट का जज बनाया गया । उस अदालत में छोटे अपराधो के अनेक मुकदमे आते थे , वे सभी निपटा देती थी ।
उनके हँसने -हँसाने कि आदत और न्याय कि पृष्टभूमि समझाने पर अधिकांश अपराधी स्वयं ही अपराध स्वीकार कर लेते थे और उचित दंड स्वेच्छापूर्वक सहते थे । गरीबो का समय अदालत का चक्कर काटने में नष्ट न हो, इसलिए वे प्रायः दो मिनिट के औसत से मुकदमा निपटाती थी। वकील करने कि भी अधिकांश को जरूरत न पड़ती । वे जज कि नही , परिवार कि बुजुर्ग कि भूमिका निभाती थी ।
प्रेसिडेंट ट्रुमेन ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका का प्रतिनिधि बनाकर भेजा। उच्च पद पर रहते हुए उन्होंने पिछड़े समुदाय को ऊँचा उठाने के लिए अनके रचनात्मक कार्य किए
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